मधुशाला का नित्य निमंत्रण,जो दिलवा दे , मित्र वही है
व्यथित हृदय हो पीडा में तब,विल्स जला दे , मित्र वही है
सुंदर विपुल चंचला का,नंबर दिलवा दे , मित्र वही है
मधु पात्रों में भर कर मदिरा,पैग बना दे , मित्र वही है
सुरा विसुध हो जाऊँ जब मैं,घर पहुँचा दे , मित्र वही है???