सामियाना ए गफलत
तो ज़नाब तमाशा ए हिन्द का शरू कुछ इस तरह हुआ कि जनता के इमोशन को खूब केश कराने की कोशिश की गई.... ये बात उस घराने की हैं जो 70 साल से अपने गौत्र के गफलत के मोह में उलझा हैं....
माना कि आज़ाद भारत की नीव और इस सोने की उजड़ी चिड़िया को फिर से खुशनुमा जहाँ की शुरुआत इसी घराने ने की जिसकी सौगाते कविले तारीफ भी रहीं....
किसी तजुर्वेकार ने सही ही कहा हैं कि किसी भी कुटुंब के कुनवे का एक ही लाल ऐसा होता हैं जो इतिहास रचता हैं... ज़माने को कई सौगाते देता हैं जिसके कई गुनाह भी छिप जाते हैं लेकिन ये ज़रूरी नहीं उसकी आने वाली पीढ़ी उसे वरकरार रखें....
तो बात आज उस पुरानी पार्टी के कुनवे की हो रही हैं जो अपनी शाख को बचाने की मशक्कत में हैं जिसका ड्रामा खूब चला नए और पुराने दोनों ही चाबलो के सेम्पलों सामने रखें गये लेकिन बात ढाक के तीन पात ही साबित रही शामियाने में मौजूद खबइये किसी और ब्रांड के चाबल को पाचा पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहें हैं... हालांकि जनता को सब समझ आता हैं लेकिन जनता करें भी तो क्या करें वो तो सीधे प्रसारण के भोज पर हर पल नज़र रख कर घर बैठे बैठे लुफ्त ले रही थी....
तो ज़नाब सारे दिन रात की उठा पटक के बाद तये वही हुआ जो होना था ये तो एक कसरत भर मात्र थी मौजूदा शामियाने में शामिल खबइयो की मनसा जानने की जो मनसा के मुताबिक हांडी चूल्हे पर उसी ब्रांड के चाबल की चढ़ी... जो अब तपेगी भी आगे देखना ये होगा कि इस हांडी में क्या पकता हैं बिरियानी या खीर येतो आने वाला वक़्त ही बताएगा....