तुमसे मतलब ना था फिर भी दिल लगा लिया , जिस गली कभी जाना ना था फिर भी उस गली का पता लगाते लगाते बरसो निकाल दिए । तुम्हारी सारी गलतियों को सर आंखों लिया , खुद की गलती थी भी नहीं फिर भी सारी गलतियों का इल्ज़ाम अपने सर माथे लिया । खुदा को कभी देखा नहीं था , इसलिए तुमको खुदा का दर्जा दिया । अब इतने सालो बाद भी दिल में कहीं छुपी एक आस है कि किसी मोड़ पर हम मिलेगे कही , फिर जो अनसुलझे से सवाल है दिल मैं शायद उनको कोई मुवाकिल जवाब मिल जाए ।