|| अच्छा था ||
बड़े हो गए है अब कदम,
छोटे थे पैर जब कोमल से,
वो बचपन अच्छा था |
ये मतलबी और दुनियाकी बाते करता इंसान,
तब परवाह ना दोस्ती या दुश्मनी की,
वो बचपन अच्छा था |
आज ये नकाबी मुस्कुराहट से,
नादान वो चेहरा और हसी बेहद,
वो बचपन अच्छा था |
अब अपना-पराया करता ये दिल,
तब कट्टी बट्टी करता मन,
वो बचपन अच्छा था |
आज इंसानियत की पहचान कराता ये वक्त,
बीता हुआ बिना स्वार्थ का,
वो बचपन अच्छा था |
आज भागदौड़ करता ये इंसान,
तब खेलकूद वाला,
वो बचपन अच्छा था |
✍:- Jig's ( अंश ) ?२०-०६-२०१९