नो दस दिन पहले की बात हे..में और मेरा मित्र दोनों बैठे थे तो, बात में से बात निकली तो उन्होंने पूछा की हेमराज, सब लोग कहेते की प्रेम हो जाए तो थोड़े वक्त के लिए कुछ समझ नहीं आता...पूरा दिन उनकी याद, वो बात दिमाग में से निकलती नहीं है, ऐसा क्या होगा प्रेम में...मैंने कहा मुझे तो हुआ नहीं तो मुझे कैसे पता..तो बोला, तू लिखता है ना वो "शेर - शायरी" ...व लिखना बंद करदे, इतना पता नहीं और "शेर _ शायरी" लिख रहा है, मैंने कहा नहीं पता है। तो ना ही कहूंगा... फिर से बोला, तू "शेर" बना "शायरी" बना जो बनाना है बना तेरेको दो लाइन में बताना है कि प्रेम होनेके बाद कुछ समझ क्यू नहीं आता.. मैंने कहा ठीक है बच्चा प्रेम में फसाया हुआ तो है.. मैंने कहा ठीक है लिखना तो पड़ेगा और दो ही लाइन में, तो पाच _ छे दिन बाद लिखकर बताऊंगा...उसने बोला ठीक है.........तो आज ये दो लाइन उनके लिए...