*ऐ जमाने शुक्रिया तेरा*
*मैंने टुकड़े -टुकड़े सहेज कर*
*खुद को जोड़ा फिर से....*
*मुझे हर तरह से तोड़ने वाले*
*शुक्रिया तेरा...*.
*बहुत दूर थी मंजिल*
*मैं तय कर पाती नहीं...*
*मुझे पहली सीढ़ी से गिराने वाले*
*शुक्रिया तेरा...*
*मेरे घाव हरे ही रखे...*
*कभी सूखने न दिये...*
*मुझे हर घड़ी जख्म देने वाले*
*शुक्रिया तेरा....*
*अब तो मैं समंदर में*
*गोते लगाया करती हूं.....*
*मुझे कुए से निकाल फैंकने वाले*
*शुक्रिया तेरा.....*
*अब मुस्कुराने लगी हूं !*
*सामने पाकर मंजिल....*
*मुझे हर घड़ी रुलाने वाले*
*शुक्रिया तेरा......*
*हर कोई मुझे अपना कहे..*
*अब कुछ तो काबिल हूं मैं..*.
*मुझे अकेला छोड़ने वाले*
*शुक्रिया तेरा..*
*मुझमें निकालते रहे कमियां*
*उम्र दराज होने तक..*.
*अब खूबियां ही बची हैं खाली।*
*ओ अहंकारी! शुक्रिया तेरा...*
*सीमा शिवहरे "सुमन"*