केप्टन....!!!!
बहुत देर से अकेला चला जा रहा हुं कीसी गुमनाम मंजील की तलास में....
गर तुम्हे जरा भी एहेसास हो मेरी बेरुखी का,,, तो आओ और थाम लो ये हाथ,
मिटादो बर्सो की प्यास ईस रुह से,
तोड दो ये रश्मो रीवाजो की बेडीया,
लग जाओ सिने से मधहोस कर ईस तरह की
ना हवा जुदा कर सके ना बारीश,
बस अब तो तुज में फना होना चाहता हुं....
ईन सांसो में उतर कर नशोमें बहना चाहता हुं....
तुम्हारे साथ जीभरकर जीना चाहता हुं....
कब तक ?
कब तक में युंही बेगानो की तरह दर - बदर भटकता रहुंगा उम्र भर...
ए जींदगी.....
बहुत देर से अकेला चला जा रहा हुं कीसी गुमनाम मंजील की तलास में....
गर तुम्हे जरा भी एहेसास हो मेरी बेरुखी का,,, तो आओ और थाम लो ये हाथ ।
@श्याम