लिबास मोहब्बत का
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ओढ़ लूँ लिबास तेरी मोहब्बत का,
आज तेरी पनाह में जीने को जी करता है.!
तेरी ख़्वाहिश में डूबा मन,
अब रोज़ मुझ से उलझता है!
भूल जाऊँ अब खुद को,
ये दिल मुझ से तेरी बातें करता है.!
थाम लूँ हर लम्हा हर पल को मैं,
जो संग तेरे गुजरता है.!
निखार लूँ खुद को आज मैं,
तेरे इश्क़ में बिखर ने को जी करता है.!
ओढ़ लूँ लिबास तेरी मोहब्बत का,
आज तेरी पनाह में जीने को जी करता है.!
-- धीर (धीरेन्द्र)...,