सुखे पत्ते पर आज भी तेरा नाम लिखा है।
टूटे दिल के अहसासों का अंजाम लिखा है।।
बरसों पहले तेरी मुहब्बत का जो पैमाना था।
मेरी आँखों में आज फिर तेरा वो अक्स दिखा है।।
कितने आंसू पीकर खुद को संभाला है मैंने।
लेकिन दिल को अब हमनें बेजान बना लिया है।।
अब हम ना रहे किसी काम के तू देख तो ज़रा।
तेरे इश्क़ ने हमें कितना मोहताज बना दिया है।।
मेरी मुहब्बत की वो मुमताज़ है तू।
जिसकी याद में घर को ताजमहल बना लिया है।।
तुझे खोने का ग़म ज़िंदगी में हमेशा रहेगा।
हमने भी अपने आपको ज़िंदा लाश बना लिया है।।
अब मुमकिन नही किसी ओर का इंंतज़ार क्योंकि।
ज़िंदगी में बस तेरा और तेरा ही इंतज़ार लिखा है।।