मित्रता और उम्र
इस बात को लेकर लोगों में अलग-अलग मत प्रचलित हैं कि दोस्ती हमउम्र लोगों से की जाए या किसी भी आयु के लोगों से। कुछ लोग यह मानते हैं कि यदि मित्र लगभग समान आयु के हों तो दोस्ती ज्यादा सहज, टिकाऊ और तनाव रहित होती है। लेकिन यह धारणा भी प्रचलित है कि समान आयु के दोस्तों में तुलना, ईर्ष्या, उदासीनता आदि भी ज्यादा दिखाई देती है।
मुझे लगता है कि मित्र बनाते वक्त हम इस बात पर भी ध्यान दें,कि हम किसी को दोस्त क्यों बना रहे हैं? यदि मित्रता के हमारे मकसद ऐसे हैं, तो फिर अपनी उम्र के लोगों पर ही ध्यान दिया जाना चाहिए, जैसे-
-हमें ज्यादा समय साथ गुज़ारने के लिए साथी चाहिए।
-हमें पारिवारिक सलाहकार के रूप में एक मित्र की दरकार है।
-हम लम्बे समय की दोस्ती करने जा रहे हैं।
-हमारा मित्र हमारे परिवार और अन्य मित्रों से भी मिलता रहने वाला है।
किन्तु यदि हमारी दोस्ती के कारण इन कारणों से इतर हैं, जैसे-
-हमारे किसी खास शौक़ ने हमें दोस्त बनाया है।
-हमारी कोई महत्वाकांक्षा नए दोस्त के सहयोग से पूरी होने जा रही है।
-हमारे बीच अकस्मात सहयोगी कोमल भावनाएं पनप गई हैं।
-हमारी सीमित वैचारिकता किसी वरिष्ठ परामर्शक मित्र का साथ चाहती है।
-हमारी बीतती उम्र किसी ताज़गी की मोहताज़ है।
तब हमें उम्र की परवाह किये बिना दोस्त बनाने होंगे। किन्तु यह ध्यान रखिये कि यह दूसरे प्रकार की मित्रता अपेक्षाकृत एकान्तिक होगी, आपके यह मित्र आपके दायरे में केवल आपके ही मित्र होंगे, आपके अन्य मित्रों व संबंधियों के मित्र नहीं। इसी तरह आपको भी इनके दायरे के अन्य लोग आसानी से नहीं मिलेंगे। आपको इन मित्रों से अपनी मित्रता का औचित्य समय-समय पर सिद्ध करने के लिए भी सजग रहना होगा। अन्यथा आपकी मित्रता को संदेह से भी देखा जाने लगेगा।
लेकिन एक बात तय है- इस मित्रता में मिठास भी ज्यादा होगी और संतुष्टि भी।