आँख जलती है दिल जलाएगा
ये धुँआ है असर दिखायेगा
अपना दुश्मन है अपनी सुन्दरता
वो मरेगा जो मुस्कुराएगा
फीर से असगर शहीद होने लगे
कौन फीरसे हुसैन लायेगा
इन चिताओ के ढेर पर इन्साँ
रोटियां कब तलक़ पकाएगा
दिलजलो के क्यों घर जलाता है
हाथ तेरे न कुछ भी आएगा
इतना आतंक देखकर अबतो
कौन महेबुब मुस्कुराएगा।
महेबुब सोनालिया