आवाज मत करो !
इश्क़-ए-बरात आने वाली है ,
सजी महफिल है यारों!
बड़ी रंगीन ये शाम गुलाबी है!
जरुरत है तो बस यहाँ तुम्हारी है ,
हैं भरी बाहें यहाँ सबकी ,
तुम्हारी अब बारी है !
लगा दो चाँद में तारे ,
चाँदनी आने वाली है ,
कि ऐ दिवाने प्यार कर प्यारे!
वरना बिन तेरे महफिल ये खाली है !
हटा आ जिस्म के पर्द ,
दिवानी आने वाली है ,
भर दे इश्क तू अपनी यहाँ पे जर्रे-जर्रे,
इश्क़-ए-दाव़त तुझे लगानी है !
ढ़ली अब शाम
रौनक आने वाली है ,
कि कर दे इश्क़ का आग़ाज
खुला आकाश चढ़ी जवानी है !