Hindi Quote in Story by Prabodh Kumar Govil

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चिड़िया चुग गई खेत (लघुकथा)
एक शेर था। एक दिन बैठे बैठे उसे ये ख्याल आया कि उसने हमेशा जंगल के प्राणियों को मार कर ही खाया है,कभी किसी का कुछ भला नहीं किया।
इंसान हो या जानवर, कुछ भला काम करने की इच्छा तो कभी कभी जागती ही है। अतः उसने भी सोचा कि मैं अब से केवल सत्य ही बोलूंगा।
सवाल ये था कि वो सत्य बोले तो कैसे बोले ! क्योंकि उसके पास आने की हिम्मत तो किसी की थी नहीं।वो खुद भी किसी के पास जाता तो सामने वाला उसे देखते ही जान बचा कर भाग जाता।
किन्तु अब तय कर लिया था तो सच भी बोलना ही था।
आख़िर उसे एक उपाय सूझ ही गया। वो सुबह जब अपनी मांद से निकलता तो ज़ोर से चिल्लाता कि मैं अा रहा हूं,जो भी मुझे रास्ते में मिलेगा उसे मार कर खाऊंगा !
अब तो उसकी राह में कोई परिंदा भी कभी पर नहीं मारता था।भूख से तड़पता हुआ वो थोड़े ही दिनों में मरणासन्न हो गया।
उसे बेदम पड़े देख कर आसपास के जानवर उसकी मिजाज़ पुर्सी को वहां आने लगे। वो उन्हें अपनी कहानी सुनाता कि कैसे उसने खुद अपना ये हाल किया।
आख़िर एक नन्हे बटेर ने उससे पूछ ही लिया- चाचा,सच बोलने की कसम लेने से पहले तुम शिकार कैसे करते थे ?
शेर ने कहा - मैं बिना कुछ बोले दबे पांव शिकार पर झपटता था।
बटेर ने हैरत से कहा- तो तुम फ़िर बोलने के चक्कर में पड़े ही क्यों? तुम झूठ बोल कर तो नहीं खा रहे थे!
पर अब क्या हो सकता था,जब चिड़िया चुग गई खेत।

Hindi Story by Prabodh Kumar Govil : 111068783
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