Hindi Quote in Story by Prabodh Kumar Govil

Story quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

संधान (लघुकथा)
बरसों तक एकांत में मेहनत कर के एक वैज्ञानिक ने ऐसा यंत्र बना लिया जिसे किसी भी वस्तु पर चिपका दिया जाए तो वह बोलने लगती थी।
वह सोचने लगा कि इसका प्रयोग कहां कर के देखे।
कुछ दूरी पर उसे एक खेत में काम करते हुए कुछ लोग दिखे,वह उसी तरफ चल दिया।
वहां जाकर उसने देखा, एक शानदार फार्म हाउस के सामने एक पेड़ की छांव में बिछे तख्त पर खेत का मालिक बैठा हुक्का गुड़गुड़ा रहा था। सामने ही तेज़ धूप की गर्मी में दो आदमी पसीना बहाते हुए काम में जुटे थे। वैज्ञानिक खेत के किनारे खड़ा होकर नज़ारा देखने लगा।
उसने खेत के मालिक को,और काम करने वाले लड़कों ने उसे, अभिवादन भी किया।
कुछ देर बाद मालिक ने आदमियों से कहा- अरे चलो, खाने का समय हो गया,रोटी खा लो।
संयोग देखिए, कि जिस पेड़ के नीचे वैज्ञानिक खड़ा हुआ था उसी पर खाने के दो टिफिन टंगे हुए थे।वैज्ञानिक ने मालिक की बात सुनते ही टिफिन उतारे और एक मालिक को, तथा दूसरा उन लड़कों को दे दिया।
सभी कृतज्ञता से वैज्ञानिक की ओर देखने लगे।
मालिक ने तख्त पर एक ओर खिसकते हुए कहा- आइए महाशय,आप भी मेरे साथ भोजन कीजिए।
मालिक ने खाते खाते वैज्ञानिक से सवाल किया- एक बात बताइए महाशय,ये दोनों टिफिन बॉक्स बाहर से देखने में एक जैसे हैं, वज़न भी बराबर है, फ़िर भी
आपने बिल्कुल ठीक कैसे पहचान लिया कि कौन सा मेरा है,और कौन सा मेरे मजदूरों का, जबकि इनमें अंदर अलग अलग किस्म का खाना है?
वैज्ञानिक ने गर्व से बताया- मुझे आपके डिब्बों ने ही बताया, मैं खड़ा खड़ा इनकी बातें सुन रहा था !
मालिक को बड़ा अचंभा हुआ, बोला - अच्छा,क्या कह रहे थे ये?
वैज्ञानिक बोला- एक डिब्बा भीतर रखे भोजन से कह रहा था कि चलो भैया, समय हो चुका,अब जाकर रगों में रक्त प्राण बन कर ऊर्जा भर दो !
- वाह ! और दूसरा ? मालिक ने कहा।
- दूसरा कह रहा था,चलो भैया,पेट में बदबूदार लुगदी बन कर सुबह तक पड़े रहना और लोगों का खून पीना !
वैज्ञानिक के बोलते ही मालिक के गले में कौर अटकने सा लगा और वह पानी की बोतल की ओर झुक गया।

Hindi Story by Prabodh Kumar Govil : 111067489
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now