पहला आकर्षण
उसदिन भी क्या खूब हुआ
मैं भी किसी से आकर्षित हुआ
मैं अभी स्कूल से आया था
माँ ने कपड़ा दिखाया था
मैं कपड़ा देखकर चौक गया
बोला आखिर माँ क्या तेरा फैसला
मुस्कुराकर माँ ने बोला भला
चलो बेटा तरकुलही माँ के द्वार चला
मैं भी तैयार हो चला
साथ मे थे मेरे कुछ पड़ोसी भला
चलते-2 रात हुई जरा
तो सबने कहा ठहरते है यहां थोड़ा
रात हुई सब व्यस्त हो गए
कही टेलीविजन चला तो कहि सब ढेर हो गए
कहि गप्पे चला तो कही पढ़ाई चला
पास बैठे सज्जन ने कह दिया मुझसे
केवल घूमते हो कि पढ़ते भी हो मनसे
मजे की बात थी पढ़ रही थी उनकी बेटी
मुजे क्या करना था बस फेकना था अपनी सेखी
मैन भी कहा नही श्रीमान हो जाता है कभी कभार
रोज जाता हूं स्कूल और करता हु ट्यूशन कई बार
ये सुन वे मुस्कुराये जरा जरा
और वही सुरु कर दिये मेरा ट्यूशन एकबार
मैं भी कुछ कम नही था जबाब दिया जोर- तोड़
पास बैठी उनकी लाडली देखन लगी आंखे खोल
मेरी नजर उस पर पड़ी फिर हुई आंखे चार
क्या बताऊँ मैं यही था मेरा पहला आकर्षन और पहला प्यार।।