practical सोच होना किसे कहते है..!?
तो लगे की...
दिल में उठ रहे जस्बात पे बस नहीं,
कोई सपने या कोई अपने पे शायद अब हक़ नहीं..
लब सब बात चीख के दुनिया को बनता चाहे,
पर कभी कभी खुद को भी ना जाता पाए...
अंदर भरा emotional भंडार ना बोल पाए,
जो हो रहा है उसे ही हस के अपनाये...
तब जो फैसला लेते हम है,
उसे ही आज के दिनों में prectical सोच होना कहते है....