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घमंड या कोई बड़ाई करने की चाह नहीं मेरी।
खुदा से भी कई बढ़कर मां है वो मेरी।

कोई अस्क में खुदा को देखने का नजराना फरमाते है,
खुदा खुद मेरी मां के चरणों में अपना शिर जुकाते है।

उनका ये "बिट्टू श्री दार्शनिक" शुक्र गुज़ार है।
मुझे उन्होंने अपनी नायाब ममता करी नज़र है।

सलामत सदा रहो तुम मैया मेरी।
ममता सदा बहती रहे मैया तेरी।

- बिट्टू श्री दार्शनिक

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वो क्या है की, काफी वक्त से आप जेसे किसीने पुकारा नहीं है ना, तो आपकी याद आती है मां।
आपसे फीर से मिलने की ख्वाहिश है। पता नहीं कब पूरी हो !
बस आप सही सलामत रहना! मुझे वापिस भी तो लौटना है। तब बस अपने पास रखी मेरी वो जगह संभाले रखना।

बहोत याद आती है मां आपकी ! आपकी कमी खलती है।

#बिट्टू _की_ममा
#लाली_मां

English Shayri by बिट्टू श्री दार्शनिक : 111805071

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