जमीं जमीं सी धरती और
खुला खुला स आसमां होगा
सितारे अंधेरा मिटायेंगे
चांद हुस्न में अपने जवां होगा
उस रात जाने क्या होगा।

कोख मां की चीखेगी
पांव पिता के लड़खड़ायेंगे
हालात इतना नया होगा
वर्तमान भविष्य में रवां होगा
उस रात जाने क्या होगा।

-रामानुज दरिया

Hindi Shayri by रामानुज दरिया : 111791179
shekhar kharadi Idriya 2 year ago

वाह क्या बात है बहुत खूब

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now