भारत माता

बलिदान जहां परिभाषित हो
कर्तव्य जहां अनुशासित हो
जहां कण - कण में भगवान है
उस पावन धरती की हम संतान हैं
जिस धरा की माटी चंदन है
उसे कोटि - कोटिशः वंदन है
धर्म धरा है सच्चाई का वितान है
उस पावन धरती की हम संतान हैं
जहां अखिल विश्व परिवार है
ना ही जीत ना किसी की हार है
गीत अलग पर एक सभी की तान है
उस पावन धरती की हम संतान हैं
जहां धरा को मां कहते हैं
आन में इसके सब सहते हैं
जिस पर मिट जाने में अपनी शान है
उस पावन धरती की हम संतान हैं


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Hindi Poem by सुधाकर मिश्र ” सरस ” : 111790132
सुधाकर मिश्र ” सरस ” 2 year ago

धन्यवाद शेखर जी।

shekhar kharadi Idriya 2 year ago

बिल्कुल सार्थक कहा तथा अति सुन्दर प्रस्तुति

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