(पार्ट 2)
हां मैं लौटकर आऊंगा
जो किया था वादा उसे निभाउंगा
पहले इस फ़र्ज़ को निभा लूँ, फिर तो तेरा ही कहलाऊंगा
इक वादा तुझ से तो इक वादा इस वतन की मिट्टी से था
साथ दिया था तूने तभी तो मैं आगे बढ़ पाया था
मुड़कर देखा था पीछे, क्योंकि दिल से कुछ छूट रहा था
एहसास था तेरा जो जाने से रोक रहा था
कैसे बढ़ाए थे कदम आगे, ये दिल ही जानता है
कुछ उसूल हैं दुनिया के भी ये सब ये कहाँ मानता है?
तुमने किया ऐतबार मेरा, मैं भी कैसे चुप रह पाऊंगा...
निभा रहा हूँ फ़र्ज़ मिट्टी का, तुझे दिया वादा भी ज़रूर निभाउंगा
तेरी नज़रो को है इंतज़ार मेरा, तेरा वादा पूरा करने में आऊंगा
तुम रखना ऐतबार थोड़ा...मैं ज़रूर आऊंगा!
हाँ, मैं ज़रूर आऊंगा!!
-Jyoti Prajapati