आख़िर क्यों मुश्किल हैं, दिल💜 का हाल जुबां से बयां करना,
न कहने पर मुझे और कह दूँ उन्हें शिक़ायत क्यों हैं,
आख़िर क्यों फासले हैं सफर में, जब मंझील हमारी एक हैं,
जब जाना है उन्हें भी प्यार के गुलशन में,
फिर नफरत के सहराओं की तरफ उनके कदम 👣क्यों हैं,
आख़िर क्यों रास हैं उन्हें हमसे दूर होना,
जो हमें मंजूर नही, वो फासले उनका फैसला क्यों है,
आख़िर क्यों भुल गये हमें जैसे गुजरा हुआँ वक़्त,
जब कभी वो हमें जानते थे हमसे ज्यादा,
फिर उनके लिए आज हम अजनबी क्यों हैं,
आख़िर क्यों, आख़िर क्यों, आख़िर क्यों........
-Aarushi Varma