आज,
हस्तिनापुर की सभा बनी हैं हर एक गली,
दुशासनो की कई भी नहीं है कोई कमी,
पांडव बन देख रहीं हैं दुनिया सारी,
जान के भी अंजान बन नहीं उठाई किसी ने कटारी,
विवश द्रौपदी बन रही है हर नारी,
पर अफसोस, हाजिर नहीं है मददगार बलिहारी...

@vicharo_ne_vacha

Hindi Poem by Divya : 111757868
Divya 3 year ago

धन्यवाद

shekhar kharadi Idriya 3 year ago

वक़्त की मांग देखकर सुन्दर प्रस्तुति..

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