एक व्यक्ति किसी मित्र को चिठ्ठी लिख रहा था।
पास ही एक परिचित बैठा था जो कुछ वह लिखता वह पढ़ता जाता था।लिखने वाले को बुरा लग रहा था क्योकि कुछ गुप्त बाते होती है ।
अंत में उसने यह वाक्य लिखा और समाप्त कर दिया
"लिखने को तो कई बाते है ,परंतु पास एक मुर्ख मित्र बैठा है जो कुछ मैं लिखता हूँ वो पढ़ता जाता है ,इसलिए मैं फिर लिखूँगा।"
परिचित ने जब ये वाक्य पढा़ तो लज्जित होकर कहने लगा , "" चाव से लिखिए ,मैने कुछ नहीं पढा़ ।"
लिखने वाले ने कहा -"क्या अब भि किसी प्रमाण कि आवश्यक्ता है "
कभी किसी का खत उसकी अनुमति के बिना नहींं पढ़ना चाहीए
pooja singh