राखी आई रे

खुशियों की है छाई बहार कि आज है राखी आई रे
ये दिन है हम बहनों का यह सोच बहन मुस्काई रे
राखी से सजाना है हमको अपने भैया की कलाई रे
बांध के राखी नखरे कर मैं लूंगी अच्छी बंधवाई रे
इठलाऊंगी सखियों के संग अब कोई नहीं पराई रे
यह शुभ दिन सारी बहनों को सदा रहे फलदाई रे
मां - बाप का आंगन महके सदा दुख की रहे विदाई रे
हर बहन कहे अपने रब से आबाद रहे हर भाई रे
रिश्तों की डोर रहे जगमग हर तरफ खुशी हो छाई रे
सारे संबंध रहें जीवित हर दिल में उठे अंगड़ाई रे

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Hindi Poem by सुधाकर मिश्र ” सरस ” : 111743814
सुधाकर मिश्र ” सरस ” 3 year ago

धन्यवाद शेखर जी।

shekhar kharadi Idriya 3 year ago

अत्यंत मार्मिक चित्रण

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