आसमान के उस टूटे तारों को देख कर…
अक्सर देखा है मैंने…
लोगों को उससे दुआ मांगते हुए…
क्योंकि वो टूट कर भी उनकी दुआ कुबूल कर जाता है…
बिल्कुल मेरे पापा की तरह…!
मेरे होठों के सिलन के खुलते ही…
कुबूल कर जाते हैं जो मेरी दुआ…
हाँ…वो मेरे पापा…मेरे लिए उस टूटे तारे से हैं…!
अगर मेरी मां धरती-सी बन…
मुझे गर्भ में पाल आंचल में छुपाया है…!
तो मेरे पापा मेरा आसमान बन…
हर बादल को छांट मुझे उड़ना सिखाया है…!
मैंने सुना है…
लोगों को कहते हुए…
कि आज पिता का दिन है…
पर मेरा तो हर दिन ही मेरे पापा से है…!
क्योंकि मेरे घर की…मेरे ज़िन्दगी की…
रौनक हैं मेरे पापा…!
- नैना गुप्ता 'अंकिता'