वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है रितु...
उसे चुपके चुपके तस्सली से पढ़ा करो
यूं ही बेसबब ना फिरा करो ।
मुझे इस्तेहार सी लगती है ये मुहोबत की कहानियां
जो कहा नहीं वो सुना करो जो सुना नहीं वो कहा करो ।।
तुम्हे जिसने दिल से भुला दिया उस भूलने की दुआ करो
वो अब किसी और का हो चुका इस बात से ना कोई गिला करो।।
वो वक़्त की खूबसूरत यादें जो अभी भी है तुम्हारी और हमेशा रहेगी ये सोचकर ही तुम अपने दिल को तसल्ली दिया करो ।।
जो तुम्हारे नसीब में ही नहीं तो फिर क्या ग़म शायद इस खुदा ने कुछ और अच्छा लिखा है
ये सोचकर ही थोड़ा खुश हो लिया करो ।।