दर्पण में तेरा ही मुखड़ा, छवि बनी तेरी अँखियन में,
पनघट पर तेरी ही बतियाँ, सवाल उठे मेरी सखीयन में।
वैर भयो है तोसे ऐसा, सखी कहें मोहे तू बिसरा गया,
चैन भयो मोसे कोसों दूर, हर आहट लागे तू आ गया।।
~रूपकीबातें
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Hindi Shayri by Roopanjali singh parmar : 111707199

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