ये कौन है


अगर कोई तुमसे पूछे..
ये कौन है..
तो कहना यूँ तो मुझको ज्ञात नहीं,
महसूस हो सके ऐसी वो जज़्बात नहीं।।
..
फिर कहना बहुत आम है वो,
मगर सीरत से धनवान है वो।
जो दूर होकर भी लगती पास है,
जिसमें माँ का मीठा एहसास है।।

जो खुद सुलझी मगर बहुत सवाली है,
जिसके बिन शहर भी लगता खाली है।
जो लाखों बहानो में सच को ओढ़े है,
जो आँचल की गाँठ से रिश्ते जोड़े है।।

अगर कोई तुमसे पूछे..
ये कौन है..
तो कहना जो खुद पर बहुत इतराती है,
जो ना हो तो आँगन सूना कर जाती है।
ऐसी नदी है जिसका कभी संगम नहीं होता,
मिलोगे तो लगेगा इसे कभी ग़म नहीं होता।।

जो ख़्वाब बनकर भी सच लगती है,
जो जुगनू संग रातों को जगती है।
जो बिखरी हुई है मगर हताश नहीं,
लेकिन फिर भी कुछ खास नहीं।।

अगर कोई तुमसे पूछे..
ये कौन है..
तो कहना यूँ तो मुझको ज्ञात नहीं,
महसूस हो सके ऐसी वो जज़्बात नहीं।।
-रूपकीबातें
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Hindi Poem by Roopanjali singh parmar : 111706895

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