"अब नहीं"

मां की कब से कोई खबर नहीं।
क्या कहूं अब शब्द नहीं।
हालात का कोई अब पता नहीं।
क्या करू अब समझ नहीं।
बुद्धि में अब कोई तर्क नहीं।
प्रश्नों के कोई अब जवाब नहीं।
रखने को अब धैर्य नहीं।
प्रयास की कोई अब दिशा नहीं।
हाथ धरे बैठना अब उपाय नहीं।
थकान को कोई अब आराम नहीं।
रात को चैन की अब कोई नींद नहीं।
दुखते घाव पे कोई अब दवा नहीं।
जीने की बची अब उम्मीद नहीं।
खुद में बचा में अब खुद नहीं।
जग में बचा अब कुछ नहीं।

#लालीमां

- आचार्य जिज्ञासु चौहान

English Poem by बिट्टू श्री दार्शनिक : 111704228
Bhakti Soni 3 year ago

बहुत खूब!

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