यही होता अगर
तुम होते यहाँ
बेज़ार सी जिन्दगी
महकती गुलो की खुशबू से
खुशियो के भौंरे
गुंजन करते
मन विलास की कलियो पर
नित नये गीत
रचता तुम्हारे स्वागत मे
अधखुली मदिराये से नयन
रोज़ मेरी राह तकते
करते सवाल
हर एक मुस्कुराहट पर
हाँ, यही होता
गर तुम होते यहाँ ।।
—अमृत