विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।

त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।

 

अर्थ : 'हे देवी, विश्व की संपूर्ण विद्याएं तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत में जितनी स्त्रियां हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियां हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थों से परे हो।'

🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

Hindi Religious by Neha Sharma : 111662086
Neha Sharma 3 year ago

शुभकामनाओं के लिए तहे-दिल से शुक्रिया आपका

Parul 3 year ago

🙏🙏🙏💐💐

Ghanshyam Patel 3 year ago

Belated Happy Birthday Neha ji. Have a very happy, healthy and successful life ahead for you.

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now