चुभन इस दिलमे है, बताया नही जाता,
कुछ बात के दिलकी, जताया नही जाता।।
हमने उठाए है कई पर्वत हमारे कंधे पर,
बोझ अपनो के घाव का, उठाया नही जाता।।
हम पथ्थर है तो लिखदे सीने पे बेवफा हमे,
पर तेरी आंखे से आंसू छुपाया नही जाता।।
यादो की बारिश ने हमे जला दिया जीते जी,
मौसम महोब्बत का है, रुलाया नही जाता।।
मेरी लिखी हुई कविता अपने नाम करली,
पर उसमे लिखा वह दर्द, चुराया नही जाता।
दुनिया की आग से बचके में उसके पास गया,
मनोज के सर पर से माँ का छाया नही जाता।
मनोज संतोकि मानस