हर सुबह जागता हूं
नई सुबह की तालाश में
खूब पढ़ा है मैंने तो
अपने होशो हवाश में
की एक दिन मेरा भी आयेगा
मर मर कर काटा है हर दिन
मां तेरा बेटा भी घर में
एक दिन अच्छे दिन लाएगा।।
पर क्या करूं मां
यहां अनपढ़ लोगों का
चलता शासन है
गधों के कंधों पर
देश का आसन है
गुणी विद्वान यहां
करते पहरेदारी है
अनपढ़ और गंवार इस
देश में सत्ताधारी है ।
बेरोज़गारी आज बहुत
भयानक बीमारी है
डिग्री वाले बेच रहे
पापड़, समोसे, लिट्टी चोखा
कचरी, भजिया, तरकारी है
रिश्वत देकर भगजोगनी जी
कर रहे नौकरी सरकारी है।।
मै पढ़ा लिखा था सपने लेकर
क्या करूं इस डिग्री का
बेरोज़गारी ने इस तरह जलिल किया
आत्मनिर्भर भारत ने एक और
शिष्य को लील लिया
अलविदा तुझे है मेरी मां
अब चलने की तैयारी है
मेरे हम उम्र वालों
आज मेरी कल तेरी बारी है।।
सुनो जरा मेरे मित्रों
आगाज़ मै कर देता हूं
इन बहरे कर्मठ नेताओं को
लाश सबूत में दे देना
फिर चाहे जो जो करना हो
एक शंखनाद करना होगा
इन बहरे सत्ताधीशों को
एक कांग्रेस जरना होगा
तब हम सब को मिलकर
बेरोज़गारी से लड़ना होगा।
धन्यवाद।।
Arjuna Bunty