तुम्हें याद है..
जब तुमने मुझे अपने करीब किया मेरे कानों में हौले से कुछ कहने, उस वक़्त मैंने अपने हाथों को तुम्हारे सीने पर रख, तुम्हारे और मेरे बीच दूरी बनाई थी।
मगर आज वही हाथ, मुझे मेरा महसूस नहीं होता। महसूस होती है तो केवल उसमें तुम्हारी धड़कनें।
और तुम कहते थे अक़्सर तुम्हारे सीने पर भी उतर गई है मेरे हाथों की छाप।
सुनो, क्या अब.. कभी उस सीने पर किसी और के हाथ को महसूस कर सकोगे।
शायद नहीं!
हमारी आख़िरी मुलाक़ात में तुम्हें मेरे कानों में हौले से फिर कुछ कहना था.. तब शायद मैं लौटा पाती तुम्हारी धड़कनें..
और तुम दे पाते मुझे मेरे हाथों की छाप।
मगर खैर..
🥀❤️🥀
Pc-me
Insta - Roop_ki_baatein
#रूपकीबातें #roopkibaatein #roopanjalisinghparmar #roop

Hindi Blog by Roopanjali singh parmar : 111549827

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now