मुझमें क्यो घटता नहीं,
मेरा दिल भी सुनता नहीं।
कैसे बांधा है मुझे उसने,
कोई डोर कोई धागा नहीं।
क्या मेरे दर्द की कहीं दावा नहीं
है सबकुछ बस चैन बचा नहीं।
मुझे पता उन्हें प्यार नहीं मुझसे,
मुझे नहीं एसा कभी तो कहा नहीं।
वो भूल जाए तो ये उसका गुनाह नहीं,
ये ईश्क है इसमें कोई बचा नहीं।
ख़तम होना हो जाने दो मुझे,
जब उनको मेरी परवाह ही नहीं।
उसके ना होने पर एसा क्यो लगता है,
जैसे जिंदगी में कुछ बचा नहीं।
एसा है तो ख़तम क्यो ना करता है मुझे,
एसा जीना तो मरना भी बुरा नहीं।
किन तकलीफों से गुज़र होती है मेरी,
इस बात उसको इल्तिज़ा नहीं।
कैसे जी पाता होगा वो मेरे बिना,
जब की कहता था दूसरा कोई तुमसा नहीं।
बड़ी बेपरवाह हो रही हूं आजकल,
ये सोच कर किसी को मेरी परवाह नहीं।
किन सपनों को लगा लू मै गले,
आज तक मै ने कोई सपना बुना ही नहीं।
सारे शहर में शोर है कि वो मेरा है,
मेरे जैसा कोई मुझको मिला ही नहीं।
कितनी तकलीफ़ होती है सोच कर,
जो मेरा था वो कभी मिला ही नहीं।