कर्म तुम्हारे पूछेंगे तुमसे,
होगी जब उत्सव की रात,
बहे चले जो प्रवाह के साथ,
ये तो हुई धारा कि बात,
तुमने क्या किया?
धर्म तुम्हारा पूछेगा तुमसे,
होगी जब न्याय की रात,
धरे चले जो सिखा गये नाथ,
ये तो हुई प्रथा कि बात,
तुमने क्या किया?
मर्म तुम्हारा पूछेगा तुमसे,
होगी जब स्तवन कि रात,
दिये चले जो रुका न हाथ,
ये तो हुई भाग्य की बात,
तुमने क्या किया?
#प्रेरित
०८/०५/२०१९
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