#ये आख़री सफ़र है
#शीतल
ये सफ़र आख़री है,
हर बार कहता हूं मैं,
ये सफ़र आखरी है.
हर बार की तरह, एक
बहस चल रही थी,
इस बार भी मैंने,
सब तैयारियां की.
चादर, लिहाफ और
कुछ ठण्ड के कपड़े,
जुराबें वगैरह ये
सब रख लिए थे.
सब से मिले और
"लौटेंगे जल्दी" ये
उन से कह कर,
हम चल दिए थे.
फ़ारिस ने कहा
ये चादर, लिहाफ
और ये गरम सांसे,
ये जिस्म और ये
आप, सब फ़ारिग हुए.
इस दफा कोई भी
सामान न जायेगा,
सिर्फ आपकी रूह
और नमाज़े चलेंगी.
हर बार की तरह का
नहीं ये सफर है, 'शीतल'
इस बार ये आपका
आख़री सफर है.
'शीतल'