जाते हुए, महेमान ने पैसे धरे,
तो बच्चा आनाकानी पर उतर आया है।

ठुकरायी टोफी अजनबी से,
देखो अपनी मां की सीख पर उतर आया है।

पौधा बढ़ चला खजुर हो गया है,
बै-लगाम बहू को, उल्टे मुंह जवाब क्या दे दिया,
देखो सिपाही बेटा, हाथ में डंडा लिए हरामखोरी पर उतर आया है।

और देखो आज बेटा मां को पैसे दिखा रहा है।
आज फिर मां को महेमान बनाकर आनाकानी पर उतर आया है।

कहेता है, संभलकर रहीयो, बरना आश्रम भेज दूंगा।
अजनबी से दूर रहने की सीख पुरी करने पर उतर आया है।

Hindi Poem by Raje. : 111530296

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