स्त्री क्या है-----सिर्फ एक साधन
पुरुष के तन और मन को संभालने का
आवेगों और संवेगों की अभिव्यक्ति का
प्रेम के क्षणों में,
मधुर स्मृतियां सहेजने का
क्रोध में अपनी कुंठा निकालने का
मैं को स्वपोषित करने का
मैं ही सर्वश्रेष्ठ हूँ
खुद में ये अहसास जगाने का
मैं भी परमेश्वर हूँ,
जगत का सृष्टा और संचालक
इस आन और मान को
प्रतिपल जगाने का
स्त्री न हो तो ये जीवन,
एक ऐसा पटल है
जिस पर चढ़ता नहीं ,कोई भी रंग है
न प्रेम का ,न समर्पण का
नहीं जागता कोई जज्बा
न सृजन का न विनाश का
बिन स्त्री एक पुरुष का जीवन
जैसे बिन सावन मरुस्थल में यापन
बिन सती ,शिव शंकर का जीवन।।।

-Sakhi

Hindi Poem by आशा झा Sakhi : 111528249
shekhar kharadi Idriya 4 year ago

अत्यंत मार्मिक चित्रण...

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now