एक अरसा गुज़रा रसोई में तब जा कर पता चला...
हर सफ़ेद चीज़ शक्कर और नमक नहि होती।
हर काली चीज़ कचरा और पत्थर नहि होती।
हर हरी चीज़ भाजी पालक नहि होती।
हर भरी चीज़ फ़्रीज और भावुक नहि होती।
हर लाल चीज़ मिर्ची और दाहक नहि होती।
हर पीली चीज़ हल्दी और पावक नहि होती।
और सब चीज़े पूरी और चाहक नहि होती।
मैं हर वक़्त अधूरी और भ्रामक नहि होती...
©लीना प्रतीश