#अलखNiranjan

#आधा

सुबह सवेरे घड़ी की घंटी से जो जागे।
साथ में मोबाईल ले के लोटा जावे।
आधा सा अधूरा सा ही मंजन चाबे।
कड़क मीठी और पतली चाय चढ़ावे।
थैला लटका के गले में दफ्तर आवे।
फ़ाइल की पाइल में पूरा ही फस जावे।
सामने वाली मैडम से नैना मटकावे।
बाबु की चम्पी करे या डाँट खावे।
चलत निरंतर, चलत निरंतर, अलख निरंजन!

शाम को घर, जाते जाते सब्जी लावे।
वही आटे की रोटी और गोभी खावे।
मोहल्ले के यारो संग पान चबावे।
कभी जो एक, मिल जाए तो पेग चढ़ावे।
कौन बने करोड़पति यह सोच लगावे।
शेर बाज़ारी तेज़ी मंदी रोज़ गिनावे।
श्रीमती को प्रेम के दो शबद सुनावे।
उसी घडी बत्ती गुल हो,पंखा रुक जावे।
चलत निरंतर,चलत निरंतर, अलख निरंजन!

यही नहीं जीवन, बस हरदम ही सिखावे।
जो भी हो संघर्ष, खुशी खुशी मनावे।
अनदेखा,अनसुना, अनकहा रखावे।
बिन बोले, बिन तोले, बिन खोले जतावे।
जूठा सोचे मन भी तो साच करावे।
ज़ेबे ख़ाली हो,पर ईज्ज़त खूब बचावे।
मर्यादा में रहकर भी जो नाम बनावे।
देश इन्हीं और इन जैसो से आगे आवे।
चलत निरंतर, चलत निरंतर, अलख निरंजन!

© लीना प्रतीश

Hindi Motivational by Leena Pratish : 111522083
Priyan Sri 4 year ago

बहुत ख़ूब 👌

Suyash Dixit 4 year ago

Beautiful writing✍️

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now