भटक कर शहर-शहर ये जाना है मैंने ;
खुदा के घर सा सुकून कहीं नहीं,
मां के आंचल सा साया कहीं नहीं,
घर के दस्तरखान सा खाना कहीं नहीं,
मां की गोद जैसी नींद कहीं नहीं।
💔
पागल दिवाना

Hindi Shayri by PAGAL_DEEWANA : 111520692

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