क्यूँ,धिरते रहें
-----------------
@सीमा कपूर
क्यूँ-अंधकार में हम धिरते रहें,धिरते,रहें,धिलते रहें
क्यूँ-अपने आप से हम लड़ते रहें,लड़ते रहें,लड़ते रहें,
क्यूँ-खा़मोश आँखो से हम जीते रहें,जीते रहें,जीते रहें,
क्यूँ-घर की खिड़कियों से हम झाकते रहें,,झाकते रहें,झाकते रहें,
क्यूँ- बेजान जिस्म को हम बिस्तर पर निचोड़ते रहें,निचोड़ते रहें,निचोड़ते रहें,
क्यूँ-डर कर हम डर मे ही सिमटते रहें,सिमटते रहें,सिमटते रहें,
क्यूँ- एक तव़ायफ की तरह हम सिसक सिसक कर रोते
रहें,रोते रहें,रोते रहें,
-----
वक्त भले कठिन हैं पर क्यू़ँ-हम हार कर हार के बिस्तर
पर सोते रहें,सोते रहें,सोते रहें,
हाँ............
क्यू़ँ हम धिरते रहें धिरते रहें ,धिरते रहें.?