#अवरोध
कल्पना ओ से बनी एक दुनिया सी है,
अंदर मन में बेबसी बनी जिंदगानी भी है।
लब्जो से निकले घायल हुए अल्फ़ाज़ है,
दुनिया के सामने जजब्तो में संघर्षों की नुमाइश है।
सफ़र के दौरान एक नया दौर भी खड़ा लगता है,
हर एक वक़्त किसी विचारो से जूझता भी रहता है।
संभाले ना संभले दिल का आशियाना भी सा है,
धराशाई हुए मौसम की तरह अश्कों में पानी की बूंदे भी है।
कम्बख़त जान कर अंजान बन हारता रहता भी है,
अंतर आत्मा से जूठा दोहरा कर उसे दूर से प्रतिरोध करता है।
परिस्थितियों से कदम पीछे ले कर इतना विचलित
सा भी है,
जहा स्थिति में इश्क़ के मामले एक जहर की जरूरत सी है।
पाना है बड़ी मुद्दत के बाद उसे और जिंदगी बनना भी है,
और अवरोध है कि कश्मकश जिंदगी को मिलने देता ही नहीं है।
DEAR ZINDAGI 😔🌹