ऊँची छतो के शौकीन परिन्दे
इस कच्ची मुंडेर पर क्यूँ आयेंगे
रहने को आलिशान आशियाने है
तिनकों के 'नीड़' क्यूँ बनायेंगे

चुगने को 'हेम' के दाने है
सुधा से प्यास बुझायेंगें
यहाँ खाने को हकीकत के कंकड़ है
अश्कों का जहर पीने क्यूँ आयेंगे

क्या बेमिसाल उडा़न है
छत-दर-छत उड़ते चले जायेंगे
उन्हें 'फलक' सुहाना लगता है
पिजंरो में रहने क्यूँ आयेंगे
#M -kay

Hindi Shayri by M-kay : 111483240
M-kay 4 year ago

Are nhi bss aise hi...... Welcome here

Vaishnavi 4 year ago

aap to sachi me writer nikle

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