Prem_222:

नसीब के आगे हमे घुटने टेकने पडे l
ना और कोई रास्ता बचा था,
ना और कोई मंजिल बची थी,
थी तो सिर्फ तेरी याद बची थी l

नसीब के आगे हमे घुटने टेकने पडे l
ना कोई गम ना कोई शिकवा जताया था,
नाहीं किसीको ये दर्द बता पाया था,
था तो सिर्फ तेरा नग्मा बता पाया था l

नसीब के आगे हमे घुटने टेकने पडे l
वो समय ही हमारा कहीं चला गया था,
वो लकीर ही हमारी धुंधलीसी हो चली थी,
क्या पता हमारी जिंदगी ही पूरी हो चली थी l

नसीब के आगे हमे घुटने टेकने पडे l
हर एक मोड़ पे हम दर्द से जी रहे हैं,
हर एक पल उनकी यादो मे खो रहे हैं,
क्या पता तख्ता पलटे हमारे नसीब का, और....

और एक नयी जिंदगी मिले.. बस यहीं सोच मे......
नसीब के आगे हमने घुटने टेके हैं l

#आगे
#Onward
#આગળ
#પાસે

Hindi Poem by Prem_222 : 111458475
Prem_222 4 year ago

https://www.matrubharti.com/bites/111464787 पहली बारिश का शेर लिखो सब अपना अपना बनाया हुआ..

Prem_222 4 year ago

Aabhar to all.. 🙏🙏🙏

Chhaya Makwana 4 year ago

Suparb yaar.....😊👍

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