सिक्किम जाने की तैयारी करते हुए खाने का सामान पैक कर रही थी। तभी सत्तू का एक पैकेट दिखा जो कई महीनों से पड़ा था। सोचा रख लेते हैं कभी अच्छा नाश्ता नहीं मिला तो पानी में घोलकर खा लेंगे पेट भी भरेगा और खत्म भी हो जायेगा।
सिक्किम में सुबह सुबह सब्जी पूरी का नाश्ता ज्यादा मिलता है और सुबह से तला खाने का मन नहीं होता तो हमने सत्तू खा लिया।
नाथुला पास जाते समय देखा बस स्टैंड पर मक्के के पापकार्न बहुत बिक रहे थे। सोचा बच्चों के लिए होंगे। रास्ते में ड्राइवर से पूछा कि इतनी ऊंचाई पर जहाँ आक्सीजन कम रहती है आप लोग कैसे पैदल चल लेते हैं कैसे रह लेते हैं क्या खाते हैं?
वह बोला कि हम लोग मेहनत तो करते ही हैं साथ में मोटा अनाज मक्के के पापकार्न और सत्तू खाते हैं। इससे फेफड़े मजबूत होते हैं।
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