हर फिक्र की अंतिम रात कभी ना होगी...
क्योंकि फिकर की हर सुबह के साथ शुरुआत होगी...
जिसको जानने में पूरी जिंदगी लग जाती है वह अंतिम बात कभी ना होगी...
यूं ही मुकर जाते हैं लोग यहां बात बात पर... कभी झूठ के लिए तो कभी सच के लिए...
झूठ तो शुरु कर लेते हैं वह अच्छे से पर, उस झूठ के अंत की कहां बात होगी....
उनको ही नहीं मालूम जिन्होंने की है बातों की शुरुआत, क्योंकि उनकी बातों में ही उनके जज्बातों की कहीं छुपी औकात तो होगी...
दूसरे की हर बात को सहज है कह देना, लेकिन तब देखना जब उन बातों की खुद पर शुरुआत होगी...
टीटू त्यागी चमरी हापुड़
#अंतिम