नीचे लिखे गए सुविचार दोहे का अर्थ जो मैंने समझा है यह भगवद्गीता से लिया गया है कि योगी हर कर्म को ईश्वर को समर्पित कर दे और यह समझे जो हो रहा है वो ईश्वर की इच्छा से हो रहा है वो ईश्वर ही कर रहा है तो कर्म करते हुय भी अकर्म होगा। अकर्म में कर्म जा अर्थ है व्यक्ति भले ही कुछ न भी कर रहा हो तो भी कर्म तो हो रहा है जैसे सोना बैठना उठना सब कर्म है।