दिया हूँ बुझने तक तो मेरी दमक रहेगी
और मरते दमतक थोड़ी तो ऱमक रहेगी
जिससे भी जला लो वह तुम्हारे हाथमे है
घी से जलाओगे तो थोड़ी महक रहेगी..!

Bhavesh Parmar. "આર્યમ્"

Hindi Shayri by Parmar Bhavesh : 111252943

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